Wednesday 27 July 2016

कलाम जी के 11 सिद्धांत


मैं अपने बचपन के दिन नही भूल सकता, मेरे बचपन को निखारने में मेरी माँ का विषेश योगदान है। उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घर अखबार बाँट कर वापस आता था तो माँ के हाँथ का नाश्ता तैयार मिलता। पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था। माँ ने अगर साथ न दिया होता तो मैं यहां तक न पहुचता।

अब्दुल कलाम एक तपस्वी होने के साथ-साथ एक कर्मयोगी भी हैं। अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए आगे बढते गये। अपनी उपलब्धियों के दम पर आज उनका स्थान अर्न्तराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की सर्वोच्च श्रेणी में आता है।
 प्रारम्भिक जीवन में अभाव के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है। उनकी शालीनता, सादगी और सौम्यता किसी महापुरुष से कम नही है। उनसे मिलने की इच्छा स्वाभाविक है जो हममें से कई लोगों की होगी।। उनके जीवन से हम बहुत प्रभावित हैं। हम उनको अपना आर्दश मानते हैं।
डॉ. कलाम बच्चों तथा युवाओं में बहुत लोकप्रिय हैं। हम सब आदरवश उन्हे मिसाइल मैन कह कर बुलाते हैं। अपने सहयोगियों के प्रति घनिष्ठता एवं प्रेमभाव के लिये कुछ लोग उन्हे ‘वेल्डर ऑफ पिपुल’ भी कहते हैं। परिवारजन तथा बचपन के मित्रजन ‘आजाद’ कह कर पुकारते थे।
डॉ. कलाम के दर्शन सिद्धान्त बेहद प्रभावशाली हैं।
  1. जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।
  2. किसी के जीवन में उजाला लाओ।
  3. दूसरों का आशीर्वाद प्राप्त करो, माता-पिता की सेवा करो, बङों तथा शिक्षकों का आदर करो, और अपने देश से प्रेम करो इनके बिना जीवन अर्थहीन है।
  4. देना सबसे उच्च एवं श्रेष्ठ गुणं है, परन्तु उसे पूर्णता देने के लिये उसके साथ क्षमा भी होनी चाहिये।
  5. कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिये उनकी शिक्षा में मदद करो।
  6. सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
  7. प्रकृति से सीखो जहाँ सब कुछ छिपा है।
  8. हमें मुस्कराहट का परिधान जरूर पहनना चाहिये तथा उसे सुरक्षित रखने के लिये हमारी आत्मा को गुणों का परिधान पहनाना चाहिये।
  9. समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की पिङाओं को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मो को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।
  10. अपने जीवन में उच्चतम एवं श्रेष्ठ लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करो।
  11. प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो।
 अब्दुल कलाम, सादा जीवन, उच्च विचार तथा कङी मेहनत के उद्देश्य को मानने वाले वो महापुरूष हैं जिन्होने सभी उद्देशों को अपने जीवन में निरंतर जिया भी है। उनका कहना है कि—-
सपने देखना बेहद जरूरी है, लेकिन सपने देखकर ही उसे हासिल नही किया जा सकता। सबसे ज्यादा जरूरी है जिन्दगी में खुद के लिये कोई लक्ष्य तय करना.
मित्रों, हम सब अगर उपरोक्त बात को समझें और जीवन में उतारें तो अपने अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं। इसी विश्वास के साथ कलम को विराम देते हैं।
भारत को गौरवान्वित करने वाले महापुरुष को हमारा शत् शत् नमन—– जय हिन्द
धन्यवाद !

Friday 22 July 2016

English बोलना सीखना है न ?

इस article में मैं Spoken English सीखने से सम्बंधित अपनी thoughts share कर रहा हूँ , यह मेरा व्यक्तिगत दृष्टिकोण है और आप इससे पूरी तरह असहमत भी हो सकते हैं , पर यदि इससे कुछ लोगों को फायदा पहुँचता है तो मुझे ख़ुशी होगी. :)दोस्तों हमारे देश में अंग्रेजी बोलना सीखना एक बहुत बड़ा business है।


ख़ास तौर पे छोटे शहरों में इसका कुछ ज्यादा ही craze है । आपको जगह -जगह English Speaking से related ads दिख जायेंगे , “ 90 घंटे में अंग्रेजी बोलना सीखें ,”, ”फर्राटेदार अंग्रेजी के लिए join करें XYZ School of Language” etc.पर क्या यह school सचमुच इतने effective हैं ? शायद नहीं ! क्योंकि वो पहले ही गलत expectation set कर देते हैं ! मात्र 90 घंटे सीखकर किसी भाषा को आसानी के साथ बोलना बहुत मुश्किल है ।

 हाँ , ये हो सकता है कि कुछ दिन वहां जाकर आप पहले की अपेक्षा थोडा और fluent हो जाएं , पर ऐसे कम ही लोग होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का श्रेय ऐसे school को दे सकें.अगर आप पहले से ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और तब ऐसी जगह जाते हैं तो यह आपके लिए फायदेमंद हो सकता है , नहीं तो आपके लिए अच्छा होगा कि आप इस mindset के साथ जाइये कि ऐसे school में जाकर आप एक start कर सकते हैं पर यहाँ से निकलने के बाद भी आपको काफी दिनों तक पूरी dedication के साथ लगे रहना होगा ।

तो आइये सबसे पहले मैं आपके साथ अंग्रेजी बोलने से सम्बंधित कुछ myths share करता हूँ :

1.English बोलने के लिए grammar अच्छे से आना चाहिए : 

यह एक बहुत बड़ा myth है , आप ही सोचिये कि जब आपने हिंदी बोलना सीखा तो क्या आपको संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि के बारे में पता था ? नहीं पता था , क्योंकि उसकी जरूरत ही नहीं पड़ी वो तो बस आपने दूसरों को देखकर -सुनकर सीख लिया . उसी तरह अंग्रेजी बोलने के लिए भी Grammar की knowledge जरूरी नहीं है । 

2. कुछ ही दिनों में अंग्रेजी बोलना सीखा जा सकता है : 

गलत ! अपनी मात्र भाषा से अलग कोई भी भाषा सीखने में समय लगता है . कितना समय लगेगा यह person to person differ करेगा . पर मेरा मानना है कि यदि कोई पहले से थोड़ी बहुत अंग्रेजी जानता है और वो dedicated होकर effort करे तो 6 महीने में अच्छी अंग्रेजी बोलना सीख सकता है .और यदि आप सीख ही रहे हैं तो कामचलाऊ मत सीखिए , अच्छी English सीखिए ।

3. English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: 

यह भी गलत है . अपने घर की ही बात करूँ तो मेरे बड़े भैया ने Hindi Medium से पढाई की है , पर आज वो बतौर Senior Consultant काम करते हैं और बहुत अच्छी English लिखते – बोलते हैं . यदि आपको ऐसी schooling नहीं मिली जहाँ आप अंग्रेजी बोलना सीख पाए तो उसपर अफ़सोस मत कीजिये , जो पहले हुआ वो past है , present तो आपके हाथ में है जो चीज आप पहले नहीं सीख पाए वो अब सीख सकते हैं , in fact as an adult आप अपनी हर उपलब्धि या नाकामयाबी के लिए खुद जिम्मेदार हैं।

4.अंग्रेजी बोलने के लिए अच्छी vocabulary होना जरूरी है : 

नहीं , vocabulary जितनी अच्छी है उतना अच्छा है , पर generally आम -बोल चाल में जितने words बोले जाते हैं , वो आपको पहले से ही पता होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे. दरअसल हम जो words जानते हैं बस उन्ही को सही जगह place करने की बात होती है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को अपनाइए ।

12 Ideas to Learn Spoken English

1. अपना महौल English बनाएं : 

किसी भी भाषा को सीखने में जो एक चीज सबसे महत्त्वपूर्ण होती है वो है हमारा environment, हमारा माहौल . आखिर हम अपनी मात्र -भाषा छोटी सी ही उम्र में कैसे बोलने लगते हैं :- क्योंकि 24X7 हम ऐसे माहौल में रहते हैं जहाँ वही भाषा बोली , पढ़ी, और सुनी जाती है . इसीलिए अंग्रेजी बोलना सीखना है तो हमें यथा संभव अपने माहौल को English बना देना चाहिए . इसके लिए आप ऐसा कुछ कर सकते हैं:

• हिंदी अखबार की जगह English Newspaper पढना शुरू कीजिये ।

• हिंदी गानों की जगह अंग्रेजी गाने सुनिए ।

• अपने interest के English program / movies देखिये ।

• अपने room को जितना English बना सकते हैं बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English books,Cds ..जैसे भी हो जितना भी हो make it English.

2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : 

कुछ ऐसे दोस्त खोजिये जो आप ही की तरह अंग्रेजी बोलना सीखना चाहते हैं . अगर आपके घर में ही कोई ऐसा है तो फिर तो और भी अच्छा है . लेकिन अगर ना हो तो ऐसे लोगों को खोजिये , और वो जितना आपके घर के करीब हों उतना अच्छा है . ऐसे दोस्तों से अधिक से अधिक बात करें और सिर्फ English में .


3 सर्च इंजन का इंग्लिश में करें इस्तेमाल:

किसी भी जानकारी को सर्च करते समय गूगल का इस्तेमाल इंग्लिश में करें. खासकर जब बात हो अपनी पसंद की खबरें या जानकारी हासिल करने की. उदाहरण के लिए अगर आपको कुकिंग पसंद है तो आप फूड रेसिपी इंग्लिश में सर्च करें. इसके अलावा फैशन, कार, ट्रेवल के बारे में इंग्लिश में जानकारी हासिल करें. हो सकता है शुरू-शुरू में आपको कुछ समझ में नहीं आए, लेकिन इससे घबराए नहीं. कुछ शब्दों के मतलब जानें और फिर समझने की कोशिश करें. धीरे-धीरे आपकी रुचि बढ़ने लगेगी. 

4. सुनकर करें समझने की कोशिश: 

इंग्लिश को सुनकर सीखना सबसे बेहतर तरीका समझा जाता है. इससे सबसे बड़ा फायदा उच्‍चारण सुधारने में होता है. इसलिए जब भी बाहर जाएं तो अपने हेडफोन में अपने पसंद की कुछ ऑडियो रिकॉर्डिंग डाउनलोड करके सुनते हुए जाएं. इससे आप इंग्लिश में इस्तेमाल होने वाले मुहावरे जैसी कई चीजों के बारे में अच्छे से समझ जाएंगे.

5. ट्विटर, फेसबुक और गूगल प्लस पर इंग्लिश में पोस्ट करने वाले लोगों को करें फॉलो:

फेसबुक, ट्विटर और गूगल प्लस पर आप सभी एक्टिव होंगे. ऐसे में क्यों ना इसका फायदा
इंग्लिश सीखने में उठाएं. आप उस तरह को लोगों को फॉलो करें जो इंग्लिश में पोस्ट करते हैं. ध्यान रखें कि ये लोग उन फील्ड्स से होने चाहिए जिसमें आपकी रुचि है. इस तरह जब ये लोग आपके पसंद के पोस्ट और ट्वीट करेंगे तो आप बड़े शौक से उसे पढ़ेंगे और मतलब भी समझेंगे. इसके बाद आप भी उन लोगों से कम्यूनिकेट करें. 

6. अपना ब्लॉग इंग्लिश में लिखें: 

आपको इंग्लिश समझना और लिखना दोनों आना चाहिए. इसके लिए अपनी पसंद के हिसाब से अपना ब्लॉग बनाएं और उसमें लिखें. इंग्लिश सीखने के लिए यह एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है जिसकी मदद से आप इंग्लिश में अपने विचार बेझिझक दूसरों के सामने रख सकते हैं.

7. दूसरों के ब्लॉग भी पढ़ें: 

अगर आपको लगता है कि फिलहाल आप अपना ब्लॉग लिखने के लिए तैयार नहीं हैं तो आप दूसरों के ब्लॉग पढ़ना शुरू करें.  ब्लॉग में आप देखें कि लेखक किस तरह लिख रहा है, किसके बारे में लिख रहा है और लोग इसके ब्लॉग को लेकर क्या-क्या कमेंट कर रहे हैं. इससे आपको भी प्रेरणा मिलेगी और आपकी राइटिंग स्किल्स मजबूत होगी और आपको ग्रामर का स्ट्रक्चर समझ में आएगा.


8. इंग्लिश फिल्में देखें और इंग्लिश म्यूजिक सुनें: 

फिल्में देखना और गाने सुनना किसे पसंद नहीं है. अगर आपको इंग्लिश में परफेक्ट होना है तो आप ये सभी काम इंग्लिश में करें. इससे आपको इंग्लिश सीखने में मदद मिलेगी. खासकर आपको आम बोलचाल की भाषा समझने में मदद मिलेगी.

9. अंग्रेजी किताब पढ़ें: 

अगर आपको किताबें पढ़ने का शौक है तो आप अपनी पसंद की अंग्रेजी की किताब पढ़ें. इसके लिए ध्यान रखें कि कोई ऐसी किताब पढ़ें जिसे आप मन लगाकर पढ़ सकें. शुरुआत में अगर हो सके तो बच्चों की इंग्लिश की किताब पढ़ें. इसके बाद धीरे-धीरे अपने लेवल और पसंद की अंग्रेजी की किताबें पढ़ें. आप अंग्रेजी भाषा का जो भी नया शब्‍द सीखते हैं उसे एक नोटबुक में लिख लें. इसके साथ ही नए शब्‍दों को वाक्‍यों में इस्‍तेमाल करने की कोशिश करें.

10. समाचार पढ़ने के लिए इंग्लिश वेबसाइट फॉलो करें: 

आपको रोज की खबरों की जानकारी होना भी काफी जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि आप समाचार जानने के लिए इंग्लिश की वेबसाइट फॉलों करें. इससे आपको लाइफस्टाइल, टेक्नोलॉजी जैसी तमाम तरह की खबरें पढ़ने को मिलेंगी और आप की इन फील्ड्स में शब्दों की समझ बढ़ेगी.

11. दोस्तों के साथ करें प्रैक्टिस: 

इंग्लिश में इतना सब सीखने के बाद आप अपने दोस्तों के साथ बोलने की प्रैक्टिस करें और जानें कि आपने इंग्लिश में कितना इंम्प्रूवमेंट किया है.

12. भाषा को अंग्रेजी में ट्रांसलेट न करें: 

अपनी भाषा को अंग्रेजी में ट्रांसलेट न करें. फ्लूएंसी के लिए अंग्रेजी में सोचें. खुद से बातें करें. गलतियां करने से डरे नहीं. आत्‍मविश्‍वासी बनें.

सफलता के लिए


दोस्तों सफलता संकल्पवानों   के संकल्प मे निवास करती है !  सफलता का मूल मंत्र है आत्मविश्वास  ! आत्मविश्वास उस दूरदर्शिता का दूसरा नाम है जिसके साथ अटल संकल्प और अदम्य साहस जुडा रहता है !   आत्मविश्वास यानी अपने  ऊपर प्रबल आस्था और गहन निष्ठां!  ये  स्वयं में आस्था और निष्ठा ही सफलता का मार्ग दिखाती हैं !  जीवन मे सफलता कैसे मिले ?आत्मबल कैसे बढे ?
आइये देखते हैं वे 10 सूत्र जो जीवन मे आत्मबल बढाने और सफलता पाने के लिए जरूरी हैं --------------

1 . सहजता का नियम (law of SIMPLICITY )-----
शांत मन और सहज रूप से किया गया हर काम सफल होता है !   बिना वजह जल्दीबाजी काम को बनाने की अपेक्षा बिगाडती अधिक है !अस्त व्यस्त दिनचर्या ,जल्दीबाजी ,अव्यवस्था ,दूसरों से आगे निकलने की आपाधापी से हमे सफलता नहीं   तनाव और परेशानी ही मिलती है ! जीवन मे सफलता पाने के लिए हर परिस्थिति मे शांत और सहज रहिये !

2.कर्म का नियम (law of Work)-----
दोस्तों सिर्फ सोचने या प्लान बनाने से ही सफलता नहीं मिलती उसके लिए कर्म भी करना पड़ता है !  किसान सिर्फ सोच कर ही फसल नहीं  उगाता   उसके लिए उसे बीज बोने  उनकी देखभाल करने जैसा कर्म भी करना पड़ता है ! आपकी इच्छा रुपी गाडी अपने आप मंजिल तक नहीं जा सकती ,उसे कर्म रुपी tyre पर चलना ही पड़ता है ,  तभी वो अपनी मंजिल तक जा पाती  है ! काम जितना सहज ,नियमित और श्रेष्ठ होगा सफलता की दर भी उतनी ही ज्यादा होगी !

3.कामना का नियम (law of Hopes)----
सफलता पाने के लिए पहले आपको मन मे सफल होने की कामना करनी होगी ,  तभी आप यथार्थ मे भी सफल हो पाएँगे !  क्योंकि काम भी मन की इच्छा से ही पूरे होते हैं , मनमाफिक काम हम बड़े आराम और जल्दी से पूरा कर लेते हैं   जबकि जिस काम मे हमारा मन नहीं होता वो हमे भारी और उबाऊ लगता है , है ना ?   इसलिए जो जरूरी है उस काम की कामना भी मन के लिए जरूरी है !

4.परवाह का नियम (law of Care)----
हमे जितनी अपनी सफलता और विकास की परवाह होती है उतनी ही दूसरों के लिए भी होनी चाहिये  !  परवाह की ये भावना हमे उदार बनती है और  JEALOUSY,ENMITY,MALICE जैसी बुरी भावनाओ से हमें दूर भी रखती है !  और अगर हम दूसरों की परवाह करेंगे ,  तो जाहिर है दुसरे भी हमारी परवाह करेंगे !  कहावत भी है की "जो दूसरे को एक गुलाब देता है ,थोड़ी खुशबू देने वाले के हाथ मे भी रह जाती है "!

5.विश्वास का नियम (law of Trust)---
आत्मविश्वास सफलता का UNERRING WEAPON है!   ये अगर हमारे अन्दर हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है , कुछ भी बन सकता है ,दुनिया का इतिहास ऐसे ही  उन  थोड़े से व्यक्तियों का इतिहास है  जिनमें आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा था !  असफलता तभी मिलती है जब हमे अपने ऊपर ,  अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं होता !  नास्तिक वो नहीं जिसका परमात्मा मे विश्वास  नहीं है ,नास्तिक वो है जिसमे आत्मविश्वास ही नहीं है !

6.आदर का नियम(law of Respect )----
एक गाना है ,'प्यार दो प्यार लो ' है ना ,  उसीतरह दोस्तों जीवन मे 'आदर दो आदर लो '!   दूसरी बात लोग आपकी उतनी ही इज्जत करेंगे जितनी की आप अपने स्वयं की इज्जत करते हैं !  अगर आप खुद को ही हीन ,inferior मानते हैं तो दुसरे भी आपको inferiority की नजर से ही देखेंगे !  इसलिए सफलता के लिए जरूरी है की आप खुद का भी आदर करें और दूसरों का भी !

7 .सक्रियता का नियम (law of Activity   )----
जो जीवन मे सफलता पाना चाहते हैं वो भाग्य और भविष्य के भरोसे हाथ पर हाथ धरे बेठे नहीं रहते , बल्कि वो कुछ करते रहने मे विश्वास रखते हैं! और सफलता के प्रति सक्रिय हो जाते हैं !  उनकी यह सक्रियता उन्हें प्रबल प्रयास और प्रचंड पुरुषार्थ के लिए प्रेरित करती है , जिससे उनमें साहस और बल का संचार होता है !  और असफलता के भंवर मे भी असीम धेर्य का परिचय देते हुए ऐसे व्यक्ति सक्रियता से उस भंवर को पार कर जाते हैं ,और सफलता तक पहुँच जाते हैं!

8 .परोपकार का नियम (law of Benevolence )----
दूसरों के लिए बिना किसी स्वार्थ के कुछ करने की भावना ही परोपकार है !  परोपकार खेत मे बोये  जाने वाले बीज के सामान है ! जब परोपकार किया जाता है तो कुछ भी दिखाई नहीं देता पर जब उसकी फसल पक जाती है तो वो सदभावना और प्रेम के रूप मे लहलहाने लगती है !

9.कृतज्ञता का नियम (law of  Gratitude )----
दूसरों के परोपकार का बदला केवल कृतज्ञता से ही चुकाया जा सकता है !  क्योंकि कृतज्ञ होने से विनम्रता आती है , और ऐसे इंसान का सभी सहयोग करते हैं ,और वह सफल हो जाता है !  किसी ने हमारे लिए कुछ भी अच्छा  किया हो ,हमे सदा उसके प्रति कृतज्ञ होना चाहिये !  किसी का धन्यवाद करने से हम छोटे नहीं हो जाते  बल्कि वो हमारे बढ़प्पन को ही दिखाता है ! 

10 .बलिदान का नियम(law of Sacrifice )---
ये सफलता का आखिरी  और जरूरी नियम है!  सफल वो ही हो सकते हैं जो त्याग ,बलिदान और समर्पण की भावना रखते हैं !  बलिदान अपने आलस्य का , अपनी सुख सुविधाओं का , अपने आराम का ! बिना  Sacrifice के, बिना समर्पण के सफलता मुश्किल नहीं असंभव भी होती है ! 
 ये आत्मविश्वास के Igneous सूत्र हैं !

Thursday 21 July 2016

सफलता की तैयारी

शहर  से  कुछ  दूर   एक  बुजुर्ग  दम्पत्ती   रहते  थे । वो  जगह  बिलकुल  शांत  थी  और  आस -पास  इक्का -दुक्का  लोग  ही  नज़र  आते  थे ।

एक  दिन  भोर  में  उन्होंने  देखा  की  एक  युवक  हाथ  में  फावड़ा  लिए  अपनी  साइकिल  से  कहीं   जा  रहा  है , वह  कुछ  देर  दिखाई  दिया  और  फिर  उनकी  नज़रों  से  ओझल  हो  गया । दम्पत्ती   ने  इस  बात  पर  अधिक  ध्यान  नहीं  दिया , पर  अगले  दिन  फिर  वह  व्यक्ति  उधर  से  जाता  दिखा । अब  तो  मानो  ये  रोज  की  ही  बात  बन  गयी , वह  व्यक्ति  रोज  फावड़ा  लिए  उधर  से  गुजरता  और  थोड़ी  देर  में  आँखों  से  ओझल  हो  जाता ।

दम्पत्ती   इस  सुन्सान  इलाके  में  इस  तरह  किसी  के  रोज  आने -जाने  से  कुछ  परेशान  हो गए  और  उन्होंने  उसका  पीछा  करने   का  फैसला  किया । अगले  दिन  जब  वह  उनके  घर  के  सामने  से  गुजरा  तो  दंपत्ती   भी  अपनी  गाडी  से  उसके  पीछे -पीछे   चलने  लगे । कुछ  दूर  जाने  के  बाद  वह  एक  पेड़  के  पास  रुक  और  अपनी  साइकिल  वहीँ  कड़ी  कर  आगे  बढ़ने  लगा । 15-20 कदम चलने के बाद वह रुका  और अपने  फावड़े  से ज़मीन  खोदने लगा ।

दम्पत्ती को  ये  बड़ा  अजीब  लगा  और  वे  हिम्मत  कर  उसके  पास  पहुंचे  ,“तुम  यहाँ  इस  वीराने  में   ये  काम  क्यों   कर  रहे  हो ?”

युवक  बोला  , “ जी,  दो  दिन  बाद  मुझे  एक  किसान  के  यहाँ  काम  पाने  के  लिए  जाना  है , और  उन्हें  ऐसा  आदमी  चाहिए  जिसे  खेतों  में  काम  करने  का  अनुभव  हो , चूँकि  मैंने  पहले  कभी  खेतों  में  काम  नहीं  किया इसलिए  कुछ  दिनों  से  यहाँ  आकार  खेतों में काम करने की तैयारी कर रहा हूँ!!”

दम्पत्ती  यह  सुनकर  काफी  प्रभावित  हुए  और  उसे  काम  मिल  जाने  का  आशीर्वाद  दिया ।

Friends,  किसी  भी  चीज  में  सफलता  पाने  के  लिए  तैयारी  बहुत  ज़रूरी   है । जिस  sincerity के  साथ   युवक  ने  खुद  को  खेतों  में  काम करने  के  लिए  तैयार  किया  कुछ  उसी  तरह  हमें  भी अपने-अपने क्षेत्र में सफलता के लिए खुद  को  तैयार  करना  चाहिए।

Wednesday 20 July 2016

फूटा घड़ा

बहुत  समय  पहले  की  बात  है  , किसी  गाँव  में  एक   किसान  रहता  था । वह  रोज़   भोर  में  उठकर  दूर  झरनों  से  स्वच्छ  पानी  लेने  जाया   करता  था । इस  काम  के  लिए  वह  अपने  साथ  दो  बड़े  घड़े  ले  जाता  था , जिन्हें  वो  डंडे  में   बाँध  कर  अपने कंधे पर  दोनों  ओर  लटका  लेता  था ।


उनमे  से  एक  घड़ा  कहीं  से  फूटा  हुआ  था  ,और  दूसरा  एक  दम  सही  था । इस  वजह  से  रोज़  घर  पहुँचते -पहुचते  किसान  के  पास  डेढ़  घड़ा   पानी  ही बच  पाता  था । ऐसा  दो  सालों  से  चल  रहा  था ।


सही  घड़े  को  इस  बात  का  घमंड  था  कि  वो  पूरा  का  पूरा  पानी  घर  पहुंचता  है  और  उसके  अन्दर  कोई  कमी  नहीं  है  ,  वहीँ  दूसरी  तरफ  फूटा  घड़ा  इस  बात  से  शर्मिंदा  रहता  था  कि  वो  आधा  पानी  ही  घर  तक  पंहुचा   पाता  है  और  किसान  की  मेहनत  बेकार  चली  जाती  है ।  फूटा घड़ा ये  सब  सोच  कर  बहुत  परेशान  रहने  लगा  और  एक  दिन  उससे  रहा  नहीं  गया , उसने  किसान   से  कहा , “ मैं  खुद  पर  शर्मिंदा  हूँ  और  आपसे  क्षमा  मांगना  चाहता  हूँ ?”

“क्यों  ? “ , किसान  ने  पूछा  , “ तुम  किस  बात  से  शर्मिंदा  हो ?”


“शायद  आप  नहीं  जानते  पर  मैं  एक  जगह  से  फूटा  हुआ  हूँ , और  पिछले  दो  सालों  से  मुझे  जितना  पानी  घर  पहुँचाना  चाहिए  था  बस  उसका  आधा  ही  पहुंचा  पाया  हूँ , मेरे  अन्दर  ये  बहुत बड़ी  कमी  है , और  इस  वजह  से  आपकी  मेहनत  बर्वाद  होती  रही  है .”, फूटे घड़े ने दुखी होते हुए कहा ।


किसान  को  घड़े  की  बात  सुनकर  थोडा  दुःख  हुआ  और  वह  बोला , “ कोई  बात  नहीं , मैं  चाहता  हूँ  कि  आज  लौटते  वक़्त  तुम   रास्ते में  पड़ने  वाले  सुन्दर  फूलों  को  देखो ।”

घड़े  ने  वैसा  ही  किया , वह  रास्ते  भर  सुन्दर  फूलों  को  देखता  आया , ऐसा करने से  उसकी  उदासी  कुछ  दूर  हुई  पर  घर  पहुँचते – पहुँचते   फिर  उसके  अन्दर  से  आधा  पानी  गिर  चुका  था, वो  मायूस  हो  गया  और   किसान  से  क्षमा  मांगने  लगा ।

किसान  बोला ,” शायद  तुमने  ध्यान  नहीं  दिया  पूरे  रास्ते  में  जितने   भी  फूल  थे  वो  बस  तुम्हारी  तरफ  ही  थे , सही  घड़े  की  तरफ  एक  भी  फूल  नहीं  था । ऐसा  इसलिए  क्योंकि  मैं  हमेशा  से  तुम्हारे  अन्दर  की  कमी को   जानता  था , और  मैंने  उसका  लाभ  उठाया । मैंने  तुम्हारे  तरफ  वाले  रास्ते  पर   रंग -बिरंगे  फूलों के  बीज  बो  दिए  थे  , तुम  रोज़  थोडा-थोडा  कर  के  उन्हें  सींचते  रहे  और  पूरे  रास्ते  को  इतना  खूबसूरत  बना  दिया । आज तुम्हारी  वजह  से  ही  मैं  इन  फूलों  को  भगवान  को  अर्पित  कर  पाता  हूँ  और   अपना  घर  सुन्दर  बना  पाता  हूँ . तुम्ही  सोचो  अगर  तुम  जैसे  हो  वैसे  नहीं  होते  तो  भला  क्या  मैं  ये  सब  कुछ  कर  पाता ?”

दोस्तों  हम  सभी  के  अन्दर  कोई  ना  कोई  कमी  होती है  , पर यही कमियां हमें अनोखा  बनाती हैं । उस किसान की  तरह  हमें  भी  हर  किसी  को  वो  जैसा  है  वैसे  ही स्वीकारना चाहिए  और  उसकी  अच्छाई  की  तरफ  ध्यान  देना  चाहिए, और जब हम ऐसा करेंगे तब “फूटा घड़ा” भी “अच्छे घड़े” से मूल्यवान हो जायेगा ।

दुनिया के सात आश्चर्य

गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे  स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।

आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस आई और छुटकी बड़े उत्साह के साथ उसमे सवार हो गयी।

करीब 1 घंटे बाद जब बस स्कूल पहुंची तो सारे बच्चे उतर कर अपनी-अपनी क्लास में जाने लगे…छुटकी भी बच्चों से पूछते हुए अपनी क्लास में पहुंची।

क्लास के बच्चे गाव से आई इस लडकी को देखकर उसका मजाक उड़ाने आगे।

“साइलेंस!”, टीचर बोली, “ चुप हो जाइए आप सब…”

“ये छुटकी है, और आज से ये आपके साथ ही पढेगी।”

उसके बाद टीचर ने बच्चों को सरप्राइज टेस्ट के लिए तैयार होने को कह दिया।

“चलिए, अपनी-अपनी कॉपी निकालिए और जल्दी से “दुनिया के 7 आश्चर्य लिख डालिए।”, टीचर ने निर्देश दिया।

सभी बच्चे जल्दी जल्दी उत्तर लिखने लगे, छुटकी भी धीरे-धीरे अपना उत्तर लिखने लगी।

जब सबने अपनी कॉपी जमा कर दी तब टीचर ने छुटकी से पूछा, “क्या हुआ बेटा, आपको जितना पता है उतना ही लिखिए, इन बच्चों को तो मैंने कुछ दिन पहले ही दुनिया के सात आश्चर्य बताये थे।”

“जी, मैं तो सोच रही थी कि इतनी सारी चीजें हैं…इनमे से कौन सी सात चीजें लिखूं….”, छुटकी टीचर को अपनी कॉपी थमाते हुए बोली।

टीचर ने सबकी कापियां जोर-जोर से पढनी शुरू कीं..ज्यादातर बच्चों ने अपने उत्तर सही दिए थे…

1. ताजमहल

2. चीचेन इट्ज़ा

3. क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा

4. कोलोसियम

5. चीन की विशाल दीवार

6. माचू पिच्चू

7. पेत्रा

टीचर खुश थीं कि बच्चों को उनका पढ़ाया याद था। बच्चे भी काफी उत्साहित थे और एक दुसरे को बधाई दे रहे थे…

अंत में टीचर ने छुटकी की कॉपी उठायी, और उसका उत्तर भी सबके सामने पढना शुरू किया….

दुनिया के 7 आश्चर्य हैं:

1. देख पाना

2. सुन पाना

3. किसी चीज को महसूस कर पाना

4. हँस पाना

5. प्रेम कर पाना

6. सोच पाना

7. दया कर पाना

छुटकी के उत्तर सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। टीचर भी आवाक खड़ी थी….आज गाँव से आई एक बच्ची ने उन सभी को भगवान् के दिए उन अनमोल तोहफों का आभाष करा दिया था जिनके तरफ उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था!

सचमुच , गहराई से सोचा जाए तो हमारी ये देखने…सुनने…सोचने…समझने… जैसी शक्तियां किसी आश्चर्य से कम नहीं हैं, ऐसे में ये सोच कर दुखी होने ने कि बजाये कि हमारे पास क्या नहीं है हमें ईश्वर के दिए इन अनमोल तोहफों के लिए शुक्रगुजार होना चाहिए और जीवन की छोटी-छोटी बातों में छिपी खुशियों को मिस नहीं करना चाहिए।

Monday 21 September 2015

आभार

दोस्तों, मैं सबसे पहले रोशन जसवाल जी का धन्यवादी हूँ जो मुझे ब्लॉग की दुनिया में लाये । अभी मैं जिज्ञासु हूँ , और धीरे धीरे ही आगे बढ़ पाउँगा । कल मैं hike पर व whats apps पर अंग्रेजी के बारे में कुछ प्रकाशित किया था । उसी chain का अगला भाग भी जल्दी की प्रकाशित करूँगा । ये रहा article का ट्रेलर ..... ज़रूरी नहीं कि जो English बहुत अच्छे से जानता है वो ही उसे ठीक से पढ़ा सकता है ।बच्चों को पढ़ाते हुए हम खुद भी तो उसे सीखते रह सकते हैं. देखिये कैसे.
हमारी रोजमर्रा की भाषा में करीब २००० शब्द अंग्रेजी से आये हुए है, और हमें पता ही नहीं लगता कि हम ‘अंग्रेजी’ बोल रहे हैं. जैसे:
cup, plate, bus, cycle, train, rail, phone, call, mobile, table, fan, TV, sofa, bell, message, letter, head master, training…
है ना? (एक नोटबुक में इनकी लम्बी सी सूची बनाएं, ताकि आगे के काम संभव बन जाएँ.) तो अब मुद्दा यह है कि क्या हम इनके सहारे अपने बच्चों को बेहतर, या तेज़ी से या कम मुश्किलों के साथ सीखने में मदद कर सकते हैं?
शेष आर्टिकल के लिए इन्तजार करें ।

WELL WISHERS